-: विवेक :-
प्रातः और संध्या समय का प्रकाश सदा विचित्रता से भरपूर होता हैं और इस इस प्रकाश की प्रभा मे अनेक रंग हिलोरे लेते जान पड़ता है। सब मे व्याप्त चैतन्य आत्मा स्वरुप है। एकता का गूढ़ मन्त्र है चेतन को जानो-कर्त्तव्य मे नयी स्फूर्ति आयेगी , शब्दो का झूठा व्यापार त्यागो-नए जीवन की स्थिति मे उतरो- स्वार्थ के साथ परमार्थ का कैसा समीपी सम्बन्ध है प्रेम के पार को पानेवाला है। सच्चे स्वरुप का दर्शन पा सकता है। गूढ़ता मे सदा अभ्यास का प्रकाश प्राप्त होने से साधक को "सत्य " तत्व का दर्शन होगा ।
शान्ति
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