शैशव अवस्था मे सुख नहीं है
एक दिन विलास को चार से आठ वर्ष के बच्चे आपस मे खेलते हुए दिखाई दिए । वह उनके पास जाकर खड़ा हो गया खेल मनोहर था एकाग्र चित्त होकर देखने लगा एक बच्चा सुन्दर सा खिलौना लेकर बाहर आया दूसरा बच्चा उसे देखकर माँगने लगा वह अपनी माँ को बुला लाया। माँ ने उसे समझाया लेकिन वह रोने लगा तब उसकी माँ उसे मारने लगी और घसीट कर घर ले गई।
ऐसे एक बच्चा खाने की चीज़ लेकर बाहर आया और आपस मे बाँटकर खाने लगा यह देखकर उसकी माँ बोली अरे गोपाल खाने की चीज़ क्या लड़को को बॉटने के लिए दी है चल इधर आ आने दे अपने बाप को ।
एक लड़के की माँ ने कहा क्या तूने पाठ याद कर लिया गुरु जी को क्या उत्तर देगा। आनन्द से खेलता हुआ लड़का एकदम चिन्तातुर हो गया और खेल छोड़कर चला गया।
इतने मे दो चार बच्चे हाथ मे वास्ता लेकर आते हुए दिखाई उनको देखते ही खेलते हुए लड़को आपस मे कहने लगे अरे विलम्ब हो गया । आज तो गुरूजी के हाथो मार पड़ेगी ऐसा कहर सब झटपट खेल छोड़कर चले गए।
यह देखकर विलास बोला अरे निर्दोष बालको को भी आराम से बैठने या इच्छानुसार खेलने का सुख नहीं है तो औरो को सुख कहाँ से होगा।
शरणागत
नीलम सक्सेना
एक दिन विलास को चार से आठ वर्ष के बच्चे आपस मे खेलते हुए दिखाई दिए । वह उनके पास जाकर खड़ा हो गया खेल मनोहर था एकाग्र चित्त होकर देखने लगा एक बच्चा सुन्दर सा खिलौना लेकर बाहर आया दूसरा बच्चा उसे देखकर माँगने लगा वह अपनी माँ को बुला लाया। माँ ने उसे समझाया लेकिन वह रोने लगा तब उसकी माँ उसे मारने लगी और घसीट कर घर ले गई।
ऐसे एक बच्चा खाने की चीज़ लेकर बाहर आया और आपस मे बाँटकर खाने लगा यह देखकर उसकी माँ बोली अरे गोपाल खाने की चीज़ क्या लड़को को बॉटने के लिए दी है चल इधर आ आने दे अपने बाप को ।
एक लड़के की माँ ने कहा क्या तूने पाठ याद कर लिया गुरु जी को क्या उत्तर देगा। आनन्द से खेलता हुआ लड़का एकदम चिन्तातुर हो गया और खेल छोड़कर चला गया।
इतने मे दो चार बच्चे हाथ मे वास्ता लेकर आते हुए दिखाई उनको देखते ही खेलते हुए लड़को आपस मे कहने लगे अरे विलम्ब हो गया । आज तो गुरूजी के हाथो मार पड़ेगी ऐसा कहर सब झटपट खेल छोड़कर चले गए।
यह देखकर विलास बोला अरे निर्दोष बालको को भी आराम से बैठने या इच्छानुसार खेलने का सुख नहीं है तो औरो को सुख कहाँ से होगा।
शरणागत
नीलम सक्सेना
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