Tuesday, 10 January 2017

बुद्धियोग

                                                              




                                                                    -:  बुद्धियोग :-

मोह माया -ममता से भरे हुए ,नाश होने वाले दुखदायी होने पर भी रमणीय लगने वाले झंझटपूर्ण, संसार से उच्चतम  दशा मे ले जाने वाले और जहाँ जाने के बाद लौटना नहीं पड़ता ऐसे नाश ना होने वाले स्थान की कामना करने वालो के लिए दो शब्द लिखे है । जीवन एक यात्रा है और इस यात्रा मे अनेक प्रकार की ईश्वर की इच्छा और परिवर्तन का अनुभव होता है यह ग्रन्थ उन लोगो के लिए नहीं है जो संसार के मौज मजे में डूबे हुए है यह तो उनके लिए है जो परमतत्व की जिज्ञासा रखने वाले है शुद्ध कर्म ही पुरुषो की जीवात्मा और परमतत्व को शोधक बनाते है परमात्मा मे द्रण निष्ठा ही सर्वश्रेष्ठ है यही , आनंद की प्राप्ति कराते  है जब तक मनुष्य "ममत्व" का त्याग नहीं करता तब तक वह विवेक का अधिकारी नहीं होता इस ग्रन्थ मे जीने की कला को दर्शाने की कोशिश की है इसलिए यह ग्रन्थ आदर के योग्य है। इस ग्रन्थ का नाम अच्चयुत पद आरोहण है जिसका अर्थ है अ+च्युत जहाँ से पतन नहीं होता यह नाम भगवन सच्चिदानंद जी का है जो सबका मालिक है ,जहा जाकर वापस नहीं आता ,जनम मरण के फंदे से छूट जाता है परमात्मा सबकी बुद्धि का प्रेरक है उसके इच्छानुसार   मनुष्य जाति  को सद्गुण का मार्ग ग्रहण करने के लिए और उनके मन मे ऊंचे विचारो को बीज बोने के लिए मैंने यह प्रयत्न किया है इसको सफल करने का काम प्रभु के हाथ मे है  भक्तजनो को बुद्धियोग सुन्दर मति का योग देने की सत्ता रखने वाला है उस प्रभु को प्रेमपूर्वक प्रणाम है। 

                                                                                                                            नीलम सक्सेना  

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