Tuesday, 10 January 2017

प्रवेशिका


                                                                       पृष्ठ संख्या १ 

                                               प्रवेशिका 

                           श्री कमलकान्त लक्ष्मीपति परमेश्वर के श्री चरणकमलों में मेरा प्रणाम ॥ 



-:    अद्धभुत बटुक दर्शन    :-

एक बहुत ही सुन्दर और तेजस्वी बालक दिखाई दिया इसकी दिव्य कांति का सच्चा वर्णन तो कोई समर्थ कविश्वर ही कर सकता है। उसके शरीर के सारे अंग कोमल थे जैसे तुरंत पैदा हुए बालक के होते है, उसकी आयु 
लगभग आठ वर्ष की प्रतीत हुई उसका स्वरुप कुछ ऐसा था जैसे ऋषिपुत्र हो, उसके मुख की कांति देखकर ऐसा प्रतीत होता था जैसे वह सर्वविद्धया संपन्न हो और वह भगवान् नाम रूप किसी मंत्र का जाप कर रहा हो। 
सिंघ भी इस बालक को देखकर शांत हो गया ।। 

"यह बटुकजी कौन है यह आगे विदित होगा यह राजा वरेपसु की परीक्षा लेने यज्ञ में पहुचे है । 



                                                                                                                      नीलम सक्सेना 















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